हे राम ! आप कैसे भगवान है?
हे राम ! आप कैसे भगवान है?
एक नाव में कुछ यात्री बैठ कर नदी को पार कर रहे थे. उस नाव में कई तरह एवं कई व्यवसाय से जुड़े लोग बैठे थे. नाव के बांस से बने मस्तूल के सिरे पर एक चिड़िया बैठी थी. वह चहचहा रही थी. नव वाले ने रास्ता का समय काटने एवं बात चीत करने के ध्येय से नाव में बैठे एक संत जी से पूछा कि यह चिडिया क्या कह रही है? संत जी ने कहा कि “राम, सीता दशरथ.” उसी में एक किसान बैठा था वह बोला कि संत जी को उसकी भाषा समझ में नहीं आ रही है. नाव वाले ने पूछा कि भाई तुम ही बता दो. किसान ने कहा कि चिड़िया बोल रही है – “गन्ना, गुड कचरस.” नाव में बैठा एक फल बेचने वाला अपनी टोकरी के साथ बैठा था. उसने बोला कि मै बताता हूँ कि यह चिड़िया क्या कह रही है. यह कह रही है कि-“आम अमरूद अमरस.” उस नाव में एक बनिया बैठा था. उसने बोला कि इन दोनों में से कोई नहीं जानता कि चिड़िया क्या कह रही है. मै बताता हूँ कि यह क्या कह रही है यह कह रही है कि—“आदी, जीरा अदरक.” उसी नाव में एक पहलवान बैठा हुआ था. उसने ऊब कर बोला कि इन सब क़ी बुद्धि सठिया गई है. इनको क्या पता कि चिड़िया क्या कह रही है? मैं बताता हूँ. यह कह रही है कि—“दंड मुगदर कशरत.”
हे राम! आप इनमे से क्या है?
एक आदमी अपने छोटे लडके को पढ़ा रहा था. —“ए फार एपिल. बी फार बाल. सी फार कैट.” दूसरा आदमी उधर से गुजर रहा था. उसने बोला-
“यह क्या उलटी सीढ़ी भाषा छोटे बच्चे को पढ़ा रहे हो?”
“यह मेरा बच्चा है. मै इसे जो इच्छा पढाऊँ. आप को क्या तकलीफ है?”
‘अरे भाई, नाराज़ क्यों होते हो? तुम्हारा ही बच्चा है. लेकिन इसे कोई ठीक ढंग क़ी बात पढाओ.”
‘तुम क्या चाहते हो? मै इसे क से कबूतर और ख से खरहा पढाऊँ?”
“नहीं भाई, लेकिन इसे भविष्य में जो बनाना चाहते हो वह पढाओ.”
” मै इसे इंजिनीयर बनाना चाहता हूँ. तों क्या पढाऊँ.?
“इसे ओम का ला आफ चार्जेज पढाओ. ग्राहम बेल का ला आफ पावर कन्वर्जन पढाओ”
हे राम!!! आप को जानने के लिये क्या पढ़ा जाय?
एक आदमी ने दूसरे से पूछा कि तुम्हारा शरीर कहाँ है?
दूसरे ने अपनी छाती पर हाथ रख कर कहा कि यह मेरा शरीर है.
पहले ने कहा कि यह तुम्हारी छाती है. मैंने पूछा तुम्हारा शरीर कहाँ है?
दूसरे ने कहा कि क्या छाती को शरीर नहीं कहते?
पहले ने कहा कि फिर मुँह या पैर को शरीर क्यों नहीं कहते है?
कौन कहता है शरीर नहीं कहते?
तों फिर मुँह और पैर क्यों कहते है?
मुँह, पैर, छाती सब को मिला कर शरीर कहते है.
फिर जब मैंने पूछा कि तुम्हारा शरीर कहाँ है तों तुमने छाती ही क्यों दिखाया? हाथ, मुँह, पैर, आँख, नाक या कान क्यों नहीं दिखाया?
यार, क्या पता, यदि मुँह दिखाता तों कहते कि मुँह क्यों दिखाए? हाथ क्यों नहीं दिखाया? तों इसका मतलब है कि जब तुम पूछो कि शरीर कहाँ है तों पैर के अंगूठे से लेकर सिर तक हाथ फिराऊं? तब बताऊँ कि यह शरीर है? क्या मूर्खता भरी बातें है यार?
हे राम!!! आप को क्या दिखाकर बताऊँ?
हे राम!! आप स्वयं क्यों नहीं आकर हमें दिखाई देते. तथा अपनी महत्ता दर्शाते?
लेकिन यह मेरी मूर्खता है जो ऐसी बातें कह रहा हूँ. यह तों हम जैसे कलियुगी आदमियों का स्वभाव है कि घूम घूम कर अपनी महत्ता बताते एवं प्रचारित प्रसारित करते है. यदि आप भी वही करने लगे तों काहे को आप राम या भगवान?
हे राम क्षमा करना.
हे राम !!१
गिरिजा
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